पैरों की समय पर जांच बचा सकती है डायबेटिक फुट की गंभीर समस्‍या से

पैरों की समय पर जांच बचा सकती है डायबेटिक फुट की गंभीर समस्‍या से

डॉक्‍टर अनूप मिश्रा

डायबिटीज के मरीजों में पैर में किसी भी तरह के जख्‍म को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। पैरों के अल्‍सर या नहीं भरने वाले घाव डायबिटीज मरीजों में संक्रमण, हड्डियों के अस्थिरता, गैंगरीन और पैर काटे जाने की मुख्‍य वजह होते हैं। पैरों तक खून के जरिये ऑक्‍सीजन की कम मात्रा पहुंचना पैरों में अल्‍सर और नर्व क्षतिग्रस्‍त होने का कारण होता है। डायबिटीज के मरीजों में पैर के घावों को ठीक करना बहुत ही मुश्किल होता है और इसके लिए डायबिटीज रोग विशेषज्ञ और पैरों के विशेषज्ञ (पोडिएट्रिस्‍ट) की मिली जुली दक्षता का इस्‍तेमाल करना जरूरी होता है।

कारण

लंबे समय से डायबिटीज होना।

ब्‍लड शुगर पर नियंत्रण न होना।

पैर में कटने, छाला होने या घाव होने पर नजरंदाज करना।

खाली पैर चलना।

एकदम गर्म या ठंडी सतह पर चलना (पानी, हीटर आदि या फ‍िर गर्मियों में गर्म सतह पर चलना)।

छाले को गलत तरीके से फोड़ देना या नाखून को सही तरीके से न काटना।

लंबे समय से धूम्रपान की आदत होना।

 

लक्षण

डायबेटिक फुट के लक्षण निम्‍नलिखित हैं।

एक या दोनों पैरों, जांघों में चलते समय अथवा आराम के दौरान दर्द (क्‍लॉडिकेशन)।

घाव भले ही छोटा हो मगर उसके भरने में समय लगना।

पैरों और पैर की अंगुलियों की रंगत गुलाबी, ब्‍लू, काला हो जाना (गैंगरीन का खतरा (काले मृत टिश्‍यू))।

 

रोकथाम और दीर्घावधि के उपाय

ब्‍लड शुगर पर पूरा नियंत्रण रखना।

उच्‍च रक्‍तचाप और कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर भी नियंत्रण में रखना।

धूम्रपान छोड़ना।

डायबिटीज के मरीजों को किसी भी तरह के कटने, खरोंच लगने या छोटे घाव की जांच के लिए नियमित रूप से अपने पैर को देखते रहना चाहिए।

वाइब्रेशन पर्सेप्‍शन थ्रेशोल्‍ड (वीपीटी) के जरिये नर्व्‍स की सालाना जांच करानी चाहिए और फुट सर्कुलेशन टेस्‍ट (एंकल ब्रेसियल इंडेक्‍स) की जांच भी करवानी चाहिए।

यदि घाव नहीं भर रहा है या घाव फैल गया है तो किसी पैरों के विशेषज्ञ को दिखाना अनिवार्य है।

बहुत गंभीर घाव या गैंगरीन की स्थिति में मृत टिश्‍यूज को हटाने के लिए ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ सकती है।

कई बार नहीं भरने वाले घावों को ठीक करने के लिए इलाज की नई तकनीक जैसे कि हाइपरबेरिक ऑक्‍सीजन थेरेपी या स्‍टेम सेल थेरेपी का इस्‍तेमाल जरूरी हो सकता है।

(देश के जाने माने डायबेटोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर अनूप मिश्रा की किताब डायबि‍टीज विद डिलाइट से साभार) 

 

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